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Chris Nowinski is a former football player at Harvard University and professional wrestler with WWE, World Wrestling Entertainment. After enduring a career-ending head injury, Chris has dedicated his professional life to serving patients and families affected by brain trauma, particularly Chronic traumatic encephalopathy, or CTE, a progressive neurodegenerative disease that develops after repeated head injuries. Jay and Chris discuss the state of head injuries in American athletics, the difference between advocating for head safety at youth and professional levels, Chris’ newest research, and much more. Episode Chapters (00:00) Intro (00:50) changes in the culture around concussions in the past two decades (02:39) padded helmet technology (03:55) concussion reporting in the NFL (10:35) Chris’ career path and concussion history (14:52) connecting with activists who haven’t themselves suffered a traumatic brain injury (17:42) SHAAKE - a new sign to identify concussions (20:53) Unions can help players advocate for safety policies (23:10) final thoughts and goodbye For video episodes, watch on www.youtube.com/@therudermanfamilyfoundation Stay in touch: X: @JayRuderman | @RudermanFdn LinkedIn: Jay Ruderman | Ruderman Family Foundation Instagram: All About Change Podcast | Ruderman Family Foundation To learn more about the podcast, visit https://allaboutchangepodcast.com/…
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Manoj Shrivastava is an Author and self motivated leader. In this series of podcasts you will find a lot of Knowledge and Inspiration.
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यदि आप चाहते हैं कि लोग आपको जानें, आपकी तारीफ़ करें और आपका सम्मान करें तो आपको कामयाब होना होगा। क्योंकि अपमान का बदला आप कामयाब होकर ही ले सकते हैं। इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आज आप क्या हैं? किस स्थिति-परिस्थिति में हैं? जिस दिन आप कुछ बड़ा कर गुज़रते हैं ये दुनिया आपको सिर-आँखों पर बिठा लेती है। हमारे आस-पास हज़ारों ऐसे उदाहरण हैं, जिनसे यही समाज पहले नफ़रत करता था, कामयाब होने के बाद आज उन्हें ही पूजता है। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/manoj-shrivastava2/message…
इंसान का जीवन अपार सम्भावनाओं से भरा है। हर एक में इतनी ताक़त है कि वह अपने जीवन को बेहतरीन और बेमिसाल बना सकता है। लेकिन हममें से ज़्यादातर लोग ख़ुद की क्षमताओं का ग़लत अंदाज़ा लगा लेते हैं और दूसरों की तुलना में ख़ुद को कमतर मान लेते हैं। उन्हें अक़सर लगता कि यदि कोई और आकर सहायता करेगा तो ही उनका जीवन-यापन हो पाएगा। जबकि इतनी सम्भावना हमारे भीतर है कि हम अपने साथ-साथ दूसरों को भी मुश्किल दौर से बाहर निकाल सकते हैं। उनके जीवन में उम्मीद की एक किरण बन सकते हैं। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/manoj-shrivastava2/message…
जीवन में कितना कुछ मिला हुआ है, अक़्सर हमारा ध्यान उन चीज़ों पर नहीं टिकता। जो भी हमारे पास है उसे हम अपना अधिकार समझ लेते हैं, न तो हम उसके लिए कृतज्ञ होते और ना ही उसका आनन्द ले पाते। लेकिन हमारे जीवन में यदि कोई कमी है या कुछ नुक़सान हो गया तो उसकी शिकायत करते रहते हैं और अपना सारा ध्यान उसका अफ़सोस मनाने में लगा देते हैं, जबकि ख़ुश होने की ज़्यादा वज़हें मौज़ूद होती हैं। जीवन का दूसरा नाम ही आनंद है, जो भी मिला है उसके प्रति कृतज्ञता का भाव रखें, उसके साथ ख़ुश रहें। जो चला गया उसका अफ़सोस करने की बज़ाय यह सोचें कि वह आपका था ही नहीं। फिर देखिए पूरा जीवन ही उत्सव बन जाएगा। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/manoj-shrivastava2/message…
प्रतिस्पर्धा के दौर में हर कोई एक-दूसरे से आगे निकलने की अंधी दौड़ में लगा है। पद, पैसा, ऐशो-आराम हर कोई चाहता है। दिन भर हम दो और दो पाँच करने की कोशिश में लगे रहते हैं। काम की व्यस्तता में न खाने का समय है और न ही आराम का। एक बार काम मिल जाने के बाद कुछ भी नया सीखने और अपनी कुशलता को नई धार देने के बारे में हम सोचते भी नहीं। धीरे-धीरे हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य ख़राब हो जाता है, काम करने की क्षमता कम होने लगती है, और हम प्रतियोगिता से बाहर होते जाते हैं। निरंतर बदलती दुनिया में यदि तरक्क़ी करनी है तो हमें बीच-बीच में काम से अवकाश लेकर अपनी कुल्हाड़ी को धार लगाते रहना होगा। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/manoj-shrivastava2/message…
हमारी ज़िंदगी एक पाठशाला है, यहाँ हर दिन नए सबक़ सीखने को मिलते हैं। ज़िंदगी हर पल बदलती रहती है, यहाँ कुछ भी शाश्वत नहीं है। जो भी इस बदलाव को भाँप लेता है, एक नए सबक़ के साथ आगे बढ़ता है, वही जीतता है। जिस दिन हमने ख़ुद को सर्वज्ञाता समझ लिया, सीखना बंद कर दिया उसी दिन से हमारा पतन शुरू समझें। सफलता चाहिए तो अपना सीखने का एण्टीना हमेशा ख़ुला रखें, ज़िंदगी के बदलाव और उतार-चढ़ाव आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। आपकी जीत पक्की है, क्योंकि हमारा जन्म ही जीतने के लिए हुआ है। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/manoj-shrivastava2/message…
जीवन में कई बार ऐसा होता है कि हम परिस्थितिवश या फिंर बाहर की दुनिया की चकाचौंध में पड़कर ख़ुद को अपने मूल स्वभाव से अलग कर लेते हैं और नकारात्मक माहौल में शामिल हो जाते हैं। हमारे भीतर का ज़ोश और ज़ुनून धीरे-धीरे ख़त्म हो जाता है। एक पल ऐसा भी आता है, जब हमें लगने लगता है कि अब कुछ नहीं हो सकता सब ख़त्म हो चुका है। लेकिन यदि हम अपने भीतर की ताक़त को समेटकर एक बार उस नकारात्मक संगत से ख़ुद को निकालकर सकारात्मक माहौल में लाने का साहस कर लें तो सब कुछ दुबारा से ठीक हो सकता है। क्योंकि ठोकर लगने का मतलब यह नहीं कि आप चलना ही छोड़ दें। बल्कि ठोकर लगने का मतलब है, सम्भल के चलें। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/manoj-shrivastava2/message…
अधिकांश लोग अपने लिए कोई न कोई लक्ष्य निर्धारित करते हैं। उन्हें हासिल करने के संसाधन भी जुटा लेते हैं। लेकिन अक़्सर अपना ‘समय’ ऐसे कार्यों में लगाते हैं, जो उन्हें उनके लक्ष्य से दूर ले जाते हैं। और कई बार तो ऐसा भी होता है कि लाख कोशिशों के बाद भी मनचाहे परिणाम नहीं मिलते और वे अपना ‘धैर्य’खो देते हैं। वे या तो थककर बैठ जाते हैं या फिर अपना रास्ता ही बदल लेते हैं। कई बार तो लोग ऐसे वक़्त पर हथियार डाल देते हैं जब बस अगले ही पल उन्हें वांछित परिणाम मिलने वाले होते हैं। अपने लिए एक स्पष्ट लक्ष्य बनाएं,सही दिशा में ‘समय’, और धन का निवेश करें। फिर पूरे मनोयोग और ‘धैर्य’ के साथ तब तक लगे रहें जब तक उसे हासिल ना कर लें। आपकी जीत तय है। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/manoj-shrivastava2/message…
दुनिया में हर किसी का नसीब ऐसा नहीं होता कि ज़िंदगी में सब कुछ सकारात्मक और मर्ज़ी के मुताबिक़ हो। कई बार विषम परिस्थितियों के बीच ही जीवन गुज़ारना पड़ता है। कुछ लोग तो परिस्थितियों के साथ समझौता करके औसत से भी नीचे जीने का चुनाव कर लेते हैं। लेकिन कुछ लोग होते हैं जो उन्हीं परिस्थितियों से सीख लेकर औसत ज़िंदगी बिताने से इंकार कर देते हैं। अपने नज़रिए और सामर्थ्य के दम पर बेहतर का चुनाव करते हैं और एक मिसाल बन जाते हैं। सरल शब्दों में कहें तो परिस्थितियाँ नहीं बल्कि हमारा नज़रिया तय करता है कि हमारी ज़िंदगी कैसी होगी? --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/manoj-shrivastava2/message…
पद, पैसे और झूठी शान के बशीभूत होकर हम अपनी तारीफ़ सुनने के इतने आदी हो जाते हैं कि सच्चाई या तो हम देख नहीं पाते या सच्चाई से मुँह फेर लेते हैं। हमारे भीतर का अहंकार हमें इतना अंधा कर देता है, कि हम कुछ भी देखना और सुनना नहीं चाहते। जो भी हमारे अहंकार को ठेस पहुँचाता है वह दुश्मन नज़र आता है, फिर चाहे वह कोई अपना ख़ास ही क्यों न हो। यह अहंकार एक दिन हमें ले डूबता है। यदि हम अपने अंदर थोड़ी सी जागरुकता विकसित कर लें और चीज़ों का अवलोकन और विश्लेषण करें, आत्मावलोकन करें तो इससे बच सकते हैं। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/manoj-shrivastava2/message…
कई बार हमारे जीवन में ऐसे पल भी आते हैं, जब हमारा बना-बनाया सब कुछ एक ही झटके में ही बिखर जाता है। हमारा व्यवसाय, नौकरी, घर, परिवार या रिश्ता कुछ भी हो सकता है। ऐसे समय में हम अपनी क़िस्मत को कोसने लगते हैं या भगवान से शिकायतें करने लग जाते हैं। लेकिन वास्तव में कठिन परिस्थितियाँ, हमारे हौसले और समझ की परीक्षा हैं। ऐसे में हम किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं, कैसे निर्णय लेते हैं, उसी से हमारा भविष्य निर्धारित होता है। विषम परिस्थितियों में हमें ख़ुद को मज़बूत रखते हुए कई बार कठोर निर्णय लेने की ज़रूरत होती है। बहुत बार हमें उन चीज़ों को भी छोड़ने का निर्णय लेना पड़ सकता है, जिन्हें हम बेहद प्यार करते हैं। जो लोग परिस्थितियों के हिसाब से ख़ुद में बदलाव करने की ताक़त रखते हैं, वही ज़िंदगी में आगे बढ़ते हैं। बाक़ी या तो ताज़िंदगी दुखी रहते हैं या बरबाद हो जाते हैं। केवल पश्चाताप ही उनके हाँथ लगता है। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/manoj-shrivastava2/message…
कई बार जीवन में हम सबके साथ होता है कि हम कुछ ऐसी परिस्थितियों के भवँर में फँस जाते हैं, जिनसे निकलना असम्भव सा लगने लगता है। हममें से ज़्यादातर लोग बने बनाए ढर्रे में चलने के आदी होते हैं, लीक से हटकर चलने का ज़ोख़िम नहीं उठाना चाहते। जब हम सारे बने बनाए रास्ते आज़मा लेते हैं और परिणाम हमारी उम्मीद के मुताबिक़ नहीं मिलते तो हम थक कर बैठ जाते हैं और वही छोटी सी परिस्थिति एक विकराल समस्या में तब्दील हो जाती है। लेकिन यदि हम थोड़ी सी गम्भीरता और शांत मन से, ज़रा सा लीक से हटकर सोचने की ज़हमत उठाते तो शायद आसानी से निज़ात पा सकते थे। दुनिया में जितने भी कामयाब लोग हुए हैं, सभी ने लीक से हटकर चलने का ज़ोख़िम ज़रूर उठाया है। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/manoj-shrivastava2/message…
जब भी हम कोई नया काम शुरू करते हैं तो अक़्सर हमारे आस-पास कुछ ऐसे नकारात्मक मानसिकता के रायबहादुर होते हैं, जो हमें हतोत्साहित करने की कोशिश करते हैं। हमारे काम में भविष्य में क्या-क्या परेशानियाँ और समस्याएं आ सकती हैं, गिनाने लगते हैं और हमारा हौसला तोड़ने की कोशिश करते हैं। भले ही उन्होंने जीवन में उस काम को न किया हो, या कोई दूसरा काम भी न किया हो, लेकिन राय देना अपनी शान समझते हैं। अक़्सर कई लोग इन रायबहादुर के झांसे में आकर अपना काम उस स्थिति में आकर छोड़ देते हैं जबकि वह पूरा होने वाला ही होता है और उसके परिणाम आने ही वाले होते हैं। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/manoj-shrivastava2/message…
जीवन का दूसरा नाम ही संघर्ष है। लेकिन अक़्सर हम छोटी-मोटी उपलब्धियाँ हासिल करने के बाद ख़ुद को आरामपरस्त बना लेते हैं। अक़्सर हम भूल जाते हैं कि आरामपरस्ती एक लाइलाज़ बीमारी है। एक बार यह बीमारी लग जाय तो इससे बाहर निकलना आसान नहीं होता। आरामपरस्त व्यक्ति जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना नहीं कर पाते और अक़्सर टूट जाते हैं। इसलिए हमेशा कुछ न कुछ नया करते रहें, अपने-आप को हमेशा सक्रिय रखें और जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना हँसते हुए और मज़े के साथ करें। ज़िंद्गी मज़ेदार हो जायेगी। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/manoj-shrivastava2/message…
जब हम पूरे मन से कोई सपना या लक्ष्य अपने लिए बनाते हैं तो ईश्वर और सारी क़ायनात उन्हें पूरा करने की साज़िश करते हैं। लेकिन ज़्यादातर हम ही राह में आने वाली मुश्किलों से घबराकर हथियार डाल देते हैं। ज़रूरत इस बात की होती है कि जब भी हम कोई सपना लें, पूरी दृढ़ता और आत्मविश्वास के साथ उसे पाने का प्रयास करें। लाख मुश्किलों के बाद भी उसे पूरा करके ही दम लें। क्योंकि ब्रहमाण्ड में चीज़ें पर्याप्त से भी कहीं ज़्यादा मात्रा में मौज़ूद हैं, लेकिन हर बार वह हमें उपलब्ध कराने से पहले हमारी पात्रता को परख़ता है। यदि हम दृढ़ता से लगे रहे तो सफलता तो तय है। सपनों को हक़ीक़त में बदलने की ताक़त हम सब में है। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/manoj-shrivastava2/message…
यह कहानी, रसेल एच. कॉनवेल की बहु-चर्चित पुस्तक एकर्स आफ़ डॉयमण्डस का सारांश है। यह कहानी लगभग हम सभी की है। जिस तरह हीरों का अकूत भण्डार किसान के क़दमों के नीचे ही उसके खेतों में मौज़ूद था लेकिन वह उन्हें पहचान नहीं पाया और दर-दर भटकता रहा। ठीक उसी तरह हम भी सफलता पाने के लिए अच्छे अवसरों की तलाश में भटकते रहते हैं। अक़्सर हम या तो उन अवसरों को पहचान नहीं पाते या पहचान कर भी नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जो प्रायः हमारे आस-पास ही छुपे रहते हैं। यदि हम थोड़ी सी बुद्धिमानी और परख़ से उन अवसरों को पहचान कर, धैर्य, लगन और मेहनत से काम करें तो सफलता कोई दूर की कौड़ी नहीं है। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/manoj-shrivastava2/message…
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