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Shah Mohammad Ka Tanga | Ali Akbar Natiq | शाह मोहम्मद का ताँगा | अली अकबर नातिक़ | Urdu Hindi Story

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Ali Akbar Natiq was born in a village in the Punjab province of Pakistan, where he received his initial education. Later due to financial constraints he started to work as a mason, and became skilled at building domes, mosques and minarets. His love for education, literature and history specifically, had him complete his BA and MA degrees privately. He read Arabic books brought for him by his father Iraq and Kuwait where he worked. In 1998, Natiq lived in the Middle East for some time as a laborer. Natiq’s experiences from his life in the village, as a mason and later as a laborer in the middle east come to life in his stories, that are at once poignant, tender and deeply moving.

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अली अकबर नातिक़ का जन्म पाकिस्तान के पंजाब के ओकारा ज़िले में हुआ था । उनके पूर्वज 20वीं सदी के अंत में लखनऊ के पास फ़ैज़ाबाद से पंजाब के फ़िरोज़पुर में जा बेस थे। 1947 में भारत के विभाजन में वे पाकिस्तान चले गए और ओकारा में बस गए। नातिक़ ने अपने गांव के हाई स्कूल से मैट्रिक तक की पढ़ाई की और ओकारा के गवर्नमेंट कॉलेज से एफए की परीक्षा पास की। आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण, उन्होंने काम करना शुरू कर दिया। साथ ही मुल्तान के बहाउद्दीन ज़कारिया विश्वविद्यालय से निजी तौर पर बीए और एमए की डिग्री की पढ़ाई की। कुछ साल बाद, नातिक़ ने राजमिस्त्री का काम करना शुरू किया और गुंबद, मीनारें और मस्जिद बनाने में कुशलता हासिल की। उर्दू साहित्य और इतिहास में उनकी रुचि बनी रही और उन्होंने अरबी की किताबें भी पढ़ीं जो उनके पिता इराक और कुवैत से लाए थे, जहाँ वे काम पर जाते थे। जब भी उन्हें काम से फुर्सत मिलती, वे पढ़ाई में व्यस्त हो जाते। 1998 में, वे कुछ समय के लिए सऊदी अरब और मध्य पूर्व में मजदूर के रूप में भी रहे। उन्होंने इस यात्रा में बहुत कुछ सीखा।आज नातिक़ पाकिस्तान के सबसे बेहतरीन लेखकों में से जाने जाते हैं। उनकी कहानियाँ कई अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं और किताबों में छपी हैं।

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अली अकबर नातिक़ का जन्म पाकिस्तान के पंजाब के ओकारा ज़िले में हुआ था । उनके पूर्वज 20वीं सदी के अंत में लखनऊ के पास फ़ैज़ाबाद से पंजाब के फ़िरोज़पुर में जा बेस थे। 1947 में भारत के विभाजन में वे पाकिस्तान चले गए और ओकारा में बस गए। नातिक़ ने अपने गांव के हाई स्कूल से मैट्रिक तक की पढ़ाई की और ओकारा के गवर्नमेंट कॉलेज से एफए की परीक्षा पास की। आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण, उन्होंने काम करना शुरू कर दिया। साथ ही मुल्तान के बहाउद्दीन ज़कारिया विश्वविद्यालय से निजी तौर पर बीए और एमए की डिग्री की पढ़ाई की। कुछ साल बाद, नातिक़ ने राजमिस्त्री का काम करना शुरू किया और गुंबद, मीनारें और मस्जिद बनाने में कुशलता हासिल की। उर्दू साहित्य और इतिहास में उनकी रुचि बनी रही और उन्होंने अरबी की किताबें भी पढ़ीं जो उनके पिता इराक और कुवैत से लाए थे, जहाँ वे काम पर जाते थे। जब भी उन्हें काम से फुर्सत मिलती, वे पढ़ाई में व्यस्त हो जाते। 1998 में, वे कुछ समय के लिए सऊदी अरब और मध्य पूर्व में मजदूर के रूप में भी रहे। उन्होंने इस यात्रा में बहुत कुछ सीखा।आज नातिक़ पाकिस्तान के सबसे बेहतरीन लेखकों में से जाने जाते हैं। उनकी कहानियाँ कई अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं और किताबों में छपी हैं।

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